अलङ्कार चिन्तामणि मे वर्णित महाकाव्य के वर्ण्य विषयों का बृहत्त्रयी में अनुपालन
संस्कृत महाकाव्यों के इतिहास में कालिदासोत्तर परम्परा के प्रतिनिधि तीन महाकाव्यों को काव्यरसिक पण्डितमण्डली में बृहत्त्रयी कहकर प्रतिष्ठित किया गया है। समीक्षकों के अनुसार बृहत् शब्द का प्रयोग महाकाव्य के कलेवर को दृष्टि में रखकर किया गया है, प्रस्तुत शोधपत्र में अजितसेन विरचित अलङ्कार चिन्तामणि में...
Main Author: | |
---|---|
Format: | Article |
Language: | English |
Published: |
SUGYAN KUMAR MAHANTY
2022-12-01
|
Series: | Prachi Prajna |
Subjects: | |
Online Access: | https://drive.google.com/file/d/1OFtAoJ8ZYD5QxjavBa0cbj393M4PiW0f/view |
Summary: | संस्कृत महाकाव्यों के इतिहास में कालिदासोत्तर परम्परा के प्रतिनिधि तीन महाकाव्यों को काव्यरसिक पण्डितमण्डली में बृहत्त्रयी कहकर प्रतिष्ठित किया गया है। समीक्षकों के अनुसार बृहत् शब्द का प्रयोग महाकाव्य के कलेवर को दृष्टि में रखकर किया गया है, प्रस्तुत शोधपत्र में अजितसेन विरचित अलङ्कार चिन्तामणि में उल्लेखित महाकाव्य के वर्ण्यविषयों का बृहत्त्रयी (किरातार्जुनीयम्, शिशुपालवधम्, नैषधीयचरितम्) में अनुपालन का विवेचन किया गया है। |
---|---|
ISSN: | 2348-8417 |