विचार क्रान्ति का नया जीवन दर्शन - युग निर्माण सत्संकल्प
विचारों को चेतन शक्ति कहा गया है। मनुष्य के विचार ही उसके कर्म में परिणत होते है। विचार शक्ति के कारण ही मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ प्राणी होने का गौरव प्राप्त है। अपनी इसी शक्ति का उपयोग करके वह संसार के जटिल से जटिल कार्य को संभव बना सका है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार है, निकृश्ट विचार दुर्भाग्य क...
Main Author: | |
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Format: | Article |
Language: | English |
Published: |
Dr. Chinmay Pandya
2016-07-01
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Series: | Dev Sanskriti: Interdisciplinary International Journal |
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author | Rakesh Varma |
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विचारों को चेतन शक्ति कहा गया है। मनुष्य के विचार ही उसके कर्म में परिणत होते है। विचार शक्ति के कारण ही मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ प्राणी होने का गौरव प्राप्त है। अपनी इसी शक्ति का उपयोग करके वह संसार के जटिल से जटिल कार्य को संभव बना सका है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार है, निकृश्ट विचार दुर्भाग्य का। विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति एवं गति होती है। इस प्रकार उसके विचार ही भाग्य का निर्माण करते है। उत्कृष्ट विचार मनुष्य को उत्कर्ष की राह पर ले चलते है, वही निकृश्ट विचार उसे पतन-पराभव के गर्त में समेट लेते है। सत्संकल्प का उद्घोश कर श्रीराम शर्मा आचार्य ने मानवी समुदाय के सम्मुख युग निर्माण की वैचारिक योजना रखी है। मनुष्य के लिए कहा गया है वह अपने भाग्य का निर्माता आप है। मनुष्य का विचारों के साथ अन्योन्याश्रित सम्बन्ध हेै। विचार में अपरिमित सामर्थ्य है। सत्संकल्प के विचार मनुष्य की विचार प्रक्रिया को सुगठित एवं सुव्यस्थित करके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का नवनिर्माण करते है। अच्छे व्यक्ति मिलकर ही सभ्य समाज का निर्माण करते है। व्यक्ति निर्माण का वृहद् स्वरूप ही युग निर्माण में परिलक्षित होता है। अतएव कहा जा सकता है कि सत्संकल्प में विचार क्रांति का जो जीवन दर्शन समाया है उसी पर व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण और युग निर्माण की भवितव्यता निर्भर है।
Thoughts have been called conscious powers. Only the thoughts of a human being result in his actions. Due to the power of thought, man has the calibre of being the best creature. Using this power of his own, he has been able to make the most complex work of the world possible. Great idea is the door to fortune whereas a negative idea is adversity.The conditions and situations of a man happen according to his thoughts. In this way, his thoughts create destiny. Brilliant thoughts lead a man to the path of glory, the same evil thoughts engulf him in the pit of fall-overthrow. By proclaiming the sat sankalpa, Shriram Sharma Acharya has set an ideological plan of action to create an era in front of the human community.For mankind, it is being told that he is the creator of his destiny. Man has an interdependent relationship with ideas. There is infinite power in thought. Thoughts of sat sankalpa make the thought process of mankind systematic and well-organized to recreate the personality. Good people together make a decent society. The wider nature of individual creation is reflected in the establishment of the era. Therefore, it can be said that the philosophy of life of thought revolution in Sat Sankalpa is the foundation of the future of person building, society building and era building.
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