श्रीगरुडपुराणोक्तं पार्थिवलक्षणं तत्कर्तव्यलक्षणं तद्भृत्यलक्षणञ्च
अचतुर्वदनो ब्रह्मा द्विबाहुरपरो हरिः। अभाललोचनः शम्भुर्भगवान्बादरायणः॥ इत्युक्तरीत्या भगवान् बादरायणः तिसॄणां सृष्टिस्थितिलयकर्तृदेवतानां स्वरूप एव इति कथने न कापि अतिशयोक्तिः। स एव भगवान् महाभारताख्यम् अत्यद्भुतं रत्नम् अस्मभ्यं दत्वा तदपर्याप्तमिति मत्वा अष्टादशपुराणान्यपि ददौ। पुरा परम्परां...
Main Author: | |
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Format: | Article |
Language: | English |
Published: |
SUGYAN KUMAR MAHANTY
2020-12-01
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Series: | Prachi Prajna |
Online Access: | https://drive.google.com/file/d/1syefGBzXiBfLiXO09E7KEPZoBuH-O77-/view |