यज्ञ प्रयोजन में सुसंस्कारिता का समावेश

संस्कारों की संस्कृति ही भारतीय संस्कृति का मूल है। जन्म के समय मनुष्य कि स्थिती हमेशा नर पशु जैसी ही मानी गयी है लेकिन जब वो अपने अंदर संस्कारों का समावेश करता है तथा उसकी रीति-नीति को अपनाता है तब जाकर वह मनुष्य बन पाता है और इसी पद्धति को संस्कार पद्धति का नाम दिया जाता है। किसी भी वस्तु का महत्...

Full description

Bibliographic Details
Main Author: Bandana Kumari
Format: Article
Language:English
Published: The Registrar, Dev Sanskriti Vishwavidyalaya 2022-10-01
Series:Interdisciplinary Journal of Yagya Research
Subjects:
Online Access:http://ijyr.dsvv.ac.in/index.php/ijyr/article/view/89